लाली घाट
उन्नीसवीं शताब्दी में घाट का पक्का निर्माण महाराजा विजयानगरम् ने कराया था, इस घाट को लल्ली घाट भी कहते हैं। […]
ऐसी मान्यता है कि सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र सत्य की रक्षा के लिए काशी के इस श्मशान घाट पर स्वयं बिके
बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक यह हनुमान घाट का ही एक अंग था, घाट का निर्माण मैसूर राज्य के योगदान
बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक यह हनुमान घाट का ही एक अंग था, घाट का निर्माण मैसूर राज्य के
बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में वाराणसी के व्यवसायी लल्लू जी अग्रवाल ने इस घाट का निर्माण करवाया था कुछ वर्षों
अट्ठारहवीं शताब्दी में तत्कालीन काशी नरेश बलवन्त सिंह ने इस घाट का निर्माण कराया था, कालान्तर में यह घाट कई
इस घाट पर महानिर्वाणी सम्प्रदाय के नागा साधुओं का प्रसिद्ध अखाड़ा है। इसी के नाम से ही घाट का नामकरण
इस घाट पर नागा साधुओं का प्रसिद्ध निरंजनी अखाड़ा (B 3/155) है, सन 1897 में काशी नरेश ने इस अखाड़ा
घाट एवं घाट स्थित किले का निर्माण पूर्व काशी नरेश बलवन्त सिंह के द्वारा कराया गया था। घाट का नामकरण