काशी : मरने के लिए नहीं, न मरने के लिए
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स्वतंत्रता के छः दशकों के बाद वर्तामन में जब हम अपने राष्ट्र के 200 वर्षों के पराधीनता के समय को
कबीर लोकजीवन से जुड़े लोकधर्मी कवि थे, जिस लोकजीवन को उन्होंने गहराई के साथ देखा, भोगा और जिया था, वह
प्राचीनताए ऐतिहासिकता एवं नवीनता तीनों के अदभुत् मेल का नाम वाराणसी है। यहां के समृद्ध कालजयी इतिहास से जुड़ा है