लोलार्केश्वर
बनारस में लोलार्क कुण्ड का धार्मिक रूप से अपना अलग स्थान है। इसी कुण्ड की सीढ़ियों के उपर लोलार्केश्वर महादेव […]
बनारस में लोलार्क कुण्ड का धार्मिक रूप से अपना अलग स्थान है। इसी कुण्ड की सीढ़ियों के उपर लोलार्केश्वर महादेव […]
अर्द्धचन्द्राकार रूप में प्रवाहित उत्तरवाहिनी माँ गंगा के किनारे स्थित विद्या और संस्कृति की राजधानी काशी नगरी अपनी धार्मिक और
गंगा जी के उस पार रामनगर के ऐतिहासिक किले के परिसर में शिवालय भी हैं। जिन्हें व्यासेश्वर कहा जाता है।
कहा गया है कि काशी के हर कंकड़ में शिवशंकर वास करते हैं। वहीं, स्वयंभू शिवलिंगों को तो देखने से
काशी में शिव मणिकर्णिकेश्वर मणिकर्णिका घाट के पास हैं। यह शिव के नृत्य और विष्णु को आशीष प्रदान करने के
हिमालय के पहाड़ पर स्थित शिवलिंग का प्रतिरूप मध्यमेश्वर स्वयंभू लिंग हैं। जो काशी क्षेत्र के नाभि केन्द्र के रूप
द्वादश ज्योतिर्लिंगो में से एक केदारेश्वर लिंग (चमोली उत्तराखण्ड) में स्थित है। उनके स्वरूप काशी में केदारघाट पर स्थापित है।
देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक विश्वेश्वर हैं। देश के हर जगह से श्रद्धालु इनका दर्शन-पूजन करने आते हैं।