सन् 1972 में घाट का पक्का निर्माण श्यामलदास के शिष्य टेकचन्द्र साहू ने कराया था। पूर्व में यह गायघाट का ही भाग था। घाट पर मूलतः बिहार के निवासी बाबा श्यामलदास निवास करते थे। सन् 1950 में इन्होंने घाट पर ही हनुमान मंदिर की स्थापना की थी, अतः कालान्तर में इसे हनुमानगढ़ी घाट के नाम से जाना जाने लगा। हनुमान मंदिर के अतिरिक्त घाट पर एक शिव मंदिर भी है। घाट पर ही श्यामलदास के शिष्य रमण महात्यागी के द्वारा ‘महात्यागी आश्रम’ का निर्माण कराया गया जिसमें विद्यार्थियों को संस्कृत, योग तंत्र एवं ज्योतिष की शिक्षा निःशुल्क प्रदान की जाती है। वर्तमान में घाट पक्का एवं स्वच्छ है, यहाँ स्थानीय लोग ही अधिकतर स्नान कार्य करते हैं। घाट के ऊपरी भाग में एक व्यायामशाला स्थित है, जहाँ जोड़ी-गदा, कुश्ती की विभिन्न प्रतियोगिता आयोजित होती रहती है।