सन् 1960 में कलकत्ता निवासी बल्लभ राम सालिगराम मेहता ने घाट की भूमि क्रय करके घाट का निर्माण कराया था। अतः यह मेहताघाट के नाम से जाना जाने लगा। पूर्व में यह रामघाट का कच्चा भाग था। घाट पर कोई मंदिर नहीं है लेकिन वैदिक शिक्षा और उपचार दोनों ही दृष्टियों से इसका महत्व है, घाट के ऊपरी भाग में चिकित्सालय एवं प्रसिद्ध सांग्वेद संस्कृत विद्यालय है। ईंट और सीमेन्ट से निर्मित घाट पक्का एवं स्वच्छ है किन्तु धार्मिक महत्व कम होने के कारण यहाँ स्थानीय लोग ही स्नान करते हैं। घाट परिक्षेत्र में महाराष्ट्रीय समुदाय की बाहुल्यता है।
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