दिग्पतिया घाट

अठ्ठारहवी शताब्दी के अन्त में पूर्वी बंगाल के राजा दिग्पतिया द्वारा घाट एवं घाट तट पर विशाल महल का निर्माण करवाया गया, इसलिये इसका नामकरण दिग्पतिया घाट हुआ। पूर्व में यह चौसट्टी घाट का एक भाग था। घाट पर अठ्ठारहवी शताब्दी का एक शिव मंदिर स्थापित है। महल बंगाली वास्तुकला का सुन्दर प्रतीक है, वर्तमान में महल काशी आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है। घाट पक्का एवं सुदृढ़ है किन्तु विशेष धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व न होने के कारण अधिकतर स्थानीय लोग ही स्नान करते है। सन् 1965 में राज्य सरकार ने घाट का पुनः निर्माण करवाया था।

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