काशी के विनायकों में से एक हैं दुर्ग विनायक। दुर्गाकुण्ड क्षेत्र में स्थित दुर्ग विनायक का मंदिर कुण्ड के दक्षिणी कोने पर एवं माँ दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर के ठीक पीछे स्थित है। कहा जाता है कि कलयुग में काली और विनायक की पूजा-अर्चना से तत्काल फल प्राप्त होता है। इसलिए दुर्ग विनायक में दर्शनार्थियों की सहज आस्था है। पंचक्रोशी यात्रा के क्रम में भी यात्री दुर्ग विनायक का आशीर्वाद लेते हैं। मान्यता के अनुसार दुर्ग विनायक के दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और मान-प्रतिष्ठा में दिनों-दिन वृद्धि होती है। जनवरी महीने में पड़ने वाली गणेश चतुर्थी को मंदिर में उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान दुर्ग विनायक का भव्य श्रृंगार किया जाता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। वहीं हर महीने पड़ने वाली चतुर्थी को भी मंदिर में दर्शन-पूजन करने वालों की अच्छी तादात रहती है। दुर्ग विनायक का मंदिर प्रातः साढ़े 4 बजे खुलता है और सुबह की आरती 5 बजे होती है। मंदिर दिन में 12 तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। जबकि सायंकाल मंदिर 4 बजे पुनः दर्शन-पूजन के लिए खुलता है एवं आरती सायं 6 बजे सम्पन्न होती है। मंदिर रात को 10 बजे बंद होता है। मंदिर के पुजारी बालेश्वर दुबे हैं।