शिव जहां काशी में ज्ञान से लेकर आत्म दर्शन के केन्द्र हैं वहीं संकठा जी का स्थान शक्ति दात्री के रूप में है। माना जाता है कि मां काशीवासियों को शक्ति प्रदान करती हैं। इनके दर्शन-पूजन करने वालों को कभी भय नहीं सताता। मां के इसी महात्म्य का प्रभाव है कि हर समय भक्त दर्शन-पूजन के लिए इनके दरबार में पहुंचते रहते हैं। मान्यता के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पाण्डव जब काशी में आये तो संकठा जी का दर्शन-पूजन किया और करीब एक वर्ष तक यहां रूके। वहीं आज से करीब 250 वर्ष पहले खुदाई के दौरान मां की मूर्ति मिली थी जिसे वर्तमान में मंदिर की देख-रेख कर रहे राजीव शर्मा और अतुल शर्मा के पूर्वजों ने मंदिर बनवाकर स्थापित कर दिया। तभी से भक्त मां संकठा के दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। मान्यता के अनुसार मां संकठा के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सारी मनोकामना पूरी होती है। इस बड़े से मंदिर परिसर में मां की करीब पांच फीट दिव्य मूर्ति एक कोने में स्थापित है। इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से भिन्न है। मंदिर में प्रवेश के लिए बड़ा सा भव्य द्वार है। जिससे भीतर प्रवेश करते ही काफी लम्बा-चौड़ा सा आंगन है जिसके मध्य में एक विशालकाय पीपल का पेड़ है। इस पीपल के पेड़ के चारों ओर चबूतरा बनाया गया है। वहीं, आंगन के चारो ओर बरामदा है। जिसमें भक्तगण अनुष्ठान हवन साहित अन्य धार्मिक कार्य करते हैं। सप्ताह के प्रत्येक शुक्रवार को संकठा मां के दर्शन-पूजन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि शुक्रवार को मां संकठा के दर्शन करने से तुरन्त फल की प्राप्ति होती है। वहीं, पौष महीने (दिसम्बर-जनवरी) की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मां का अन्नकूट किया जाता है। इस मौके पर कई प्रकार के व्यंजन मां को अर्पित किये जाते हैं। चैत्र मास (अप्रैल) की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को संकठा मां का वार्षिक श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान मां को बेहद आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। जबकि रक्षाबंधन वाले दिन मां का जल विहार होता है। इस दौरान मां के चरणों को जल से डुबा दिया जाता है। साथ ही वर्ष में कई बार मंदिर में भव्य झांकियों का भी आयोजन होता है। जिसमें काफी संख्या में भक्त भाग लेते हैं। दर्शनार्थियों के लिए यह मंदिर भोर में साढ़े 4 बजे खुलता है जो दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है। फिर सांय 3 बजे मंदिर पुनः खुलता जो रात 12 बजे तक खुला रहता है। हालांकि मंदिर बीच में भी 2 घण्टे बंद भी रहता है। मां की आरती सुबह साढ़े 6 बजे एवं रात 10 बजे होती है। मंदिर के पास 3, 4 की संख्या में मालाफूल की दुकानें हैं। संकठा जी का यह मंदिर सिन्धिया घाट के पास स्थित है। कैन्ट रेलवे स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर की लोकप्रियता भक्तों में बहुत है।