काशी में भगवान शिव के विभिन्न नामों से स्थापित महत्वपूर्ण शिवलिंगों में मृत्युंजय महादेव का भी स्थान है। धार्मिक आस्था के केन्द्र में भगवान शिव काशी के सर्वोच्च संचालक हैं। इस प्राचीन शहर में बाबा विश्वनाथ के बाद मृत्युंजय महादेव की भी दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने आते हैं। कहा जाता है कि मृत्यंजय महादेव के दर्शन से अकाल मृत्यु नहीं होती है। बाबा अपने भक्तों की रक्षा स्वयं करते हैं। मान्यता के अनुसार मृत्युंजय महादेव स्वयंभू शिवलिंग हैं। इनके भक्तों को कभी भय नहीं सताता क्योंकि अपने भक्तों की रक्षा स्वयं ये करते हैं। वर्तमान में जिस स्थान पर मृत्युंजय महादेव का मंदिर स्थित है वहां प्राचीन काल में वन था। जंगल के बीच भक्त मृत्युंजय महादेव के दर्शन पूजन करने आते थे। बाद में भक्तों के सहयोग से वर्तमान भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। विशाल मंदिर परिसर में घुसते ही बायीं ओर मृत्युंजय महादेव हैं। इनका दर्शन सड़क से भी किया जा सकता है क्योंकि गर्भगृह में लगी खिड़कियों से मृत्युंजय महादेव को आसनी से देखा जा सकता है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ा आयोजन होता है। जिसकी तैयारी एक दो दिन पहले से ही शुरू कर दी जाती है। महाशिवरात्रि वाले दिन तो भोर से ही भक्तों की कतार लग जाती है। गर्भगृह की साफ-सफाई के बाद भक्तों के जलाभिषेक करने का क्रम शुरू हो जाता है जो देर रात तक चलता रहता है। इस दौरान बाबा का रूद्राभिषेक भी किया जाता है। साथ ही रात्रि में महाआरती का आयोजन वैदिक मन्त्रोच्चारण के साथ होता है। पूरा मंदिर परिसर इस दिन हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान रहता है। इसी तरह सावन माह में भी मंदिर में काफी संख्या में आम भक्तों के अलावा कावंरिया जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। वहीं सावन के प्रत्येक सोमवार को बाबा का अलौकिक श्रृंगार किया जाता है। मृत्युंजय महादेव मंदिर में कई और देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। जिनका धार्मिक रूप से बहुत महत्व है। इस मंदिर परिसर में एक और खास बात है। यहां एक ऐतिहासिक कूप है जिसे धनवन्तरी कूप कहा जाता है। कहा जाता है कि आयुर्वेद के जनक धनवन्तरी ने इस कूप में विभिन्न प्रकार की औषधियों का मिश्रण कर दिया था। जिससे इस कूप का जल अमृत के समान हो गया। मान्यता के अनुसार धनवन्तरी कूप के औषधियुक्त जल को पीने से कई प्रकार के रोगों से मुक्त रहा जा सकता है। यह मंदिर दर्शनार्थियों के लिए प्रातःकाल 4 से रात 12 बजे तक खुला रहता है। मृत्युंजय महादेव की आरती प्रातःकाल साढ़े 5 बजे सायं आरती साढ़े 6 बजे एवं शयन आरती रात साढ़े 11 बजे सम्पन्न होती है। इनका प्रसिद्ध मंदिर के 52/39 दारानगर विश्वेश्वरगंज में स्थित है। इन्हीं के पास काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा कालभैरव का मंदिर भी है। कैंट स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर दूर इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो द्वारा मैदागिन चौराहे पर पहुंचकर पैदल जाया जा सकता है।