सन् 1988 में राज्य सरकार के सहयोग से सिंचाई विभाग ने घाट का पक्का निर्माण कराया, घाट का उल्लेख जेम्स प्रिंसेप (सन् 1822 में) ने भी किया है जबकि वैक्स (सन् 1868 में) ने इसे बाबू सूका घाट के नाम से दर्शाया है। स्थानीय लोगों में यह सक्का घाट के नाम से प्रचलित है। घाट के उपरी भाग में संत हरदासराम सेवाश्रम स्थित है, इसी के परिसर में बाल चन्द्रेश्वर शिव मंदिर है। वर्तमान में घाट पक्का हैं लेकिन धोबियों द्वारा कपड़ा साफ करने के कारण इस घाट पर भी स्नानार्थियों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है।