सन् 1988 में राज्य सरकार के सहयोग से सिंचाई विभाग ने घाट का पक्का निर्माण कराया था, पूर्व में यह घाट कच्चा एवं राजघाट का ही एक भाग था। सन् 1937 में इटौजा (लखनऊ) की रानी मुनिया साहिबा के द्वारा घाट के उपर ‘जानकी-कुंज’ नाम का एक विशाल भवन बनवाया गया जिसके पश्चात यह घाट रानी घाट के नाम से प्रचलित हो गया। वर्तमान में घाट पक्का है लेकिन विशेष धार्मिक महत्व न होने के कारण यहाँ स्नान कार्य अपेक्षाकृत कम होता है। घाट पर धोबियों द्वारा कपड़ा साफ किया जाता है।