मानसरोवर घाट का प्रथम उल्लेख गीर्वाणपदमंजरी में मिलता है। आमेर (राजस्थान) नरेश मानसिंह ने इस घाट का एवं समीपवर्ती क्षेत्र में मानसरोवर कुण्ड का निर्माण कराया था। इस सरोवर का विशेष धार्मिक महत्व है, ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से हिमालय में स्थित कैलाश मानसरोवर के स्नान का पुण्य मिलता है। समीपवर्ती परिक्षेत्र इसी के नाम से मानसरोवर मुहल्ला जाना जाता है। आवासीय भवनों के वृद्धि फलस्वरूप वर्तमान में यह कुआँ के रूप में परिवर्तित हो गया है जो आन्ध्राश्रम भवन में सुरक्षित है, अतः इस सरोवर का स्नान मानसरोवर घाट पर ही होता है।