माता आनन्दमयी घाट

पूर्व में यह घाट कच्चा था और इसका नाम इमिलियाघाट था। सन् 1944 में माता आनन्दमयी ने अंग्रेजों से घाट की जमीन क्रय कर घाट का पक्का निर्माण तथा घाट पर विशाल आश्रम का निर्माण करवाया, तभी से इसे आनन्दमयी घाट कहा जाता है, घाट तट पर माता आनन्दमयी आश्रम (B 2/291) है, आश्रम परिसर में ही अन्नपूर्णा एवं विश्वनाथ (शिव) मंदिर तथा एक विशाल यज्ञशाला है, जहाँ प्रायः धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता रहता है। घाट पर स्थित भवन (B 2/294) में माता आनन्दमयी कन्यापीठ है, जहाँ लड़कियाँ गुरूकुल पद्धति से शिक्षा ग्रहण करती हैं, जिन्हें आश्रम के द्वारा निःशुल्क आवास, भोजन एवं वस्त्र की सुविधा प्रदान की जाती है। सन् 1988 में सिंचाई विभाग द्वारा इस घाट का मरम्मत कराया गया था। पक्का एवं स्वच्छ घाट होने के कारण स्थानीय लोग इस घाट पर स्नान करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top