मां विशालाक्षी

शिव की इस नगरी वाराणसी में शक्ति पीठों का भी महत्व रहा है। देवियों के दर्शन-पूजन के लिए भी श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते रहते हैं। काशी के नव शक्ति पीठों में मां विशालाक्षी का महत्वपूर्ण स्थान है। मीरघाट पर गलियों से होते हुए पहुंचने पर धर्मेश्वर महादेव के निकट ही मां विशालाक्षी का भव्य मंदिर स्थित है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर मां सती का कर्ण कुण्डल और उनका एक अंग गिरा था। जिससे इस स्थान की महिमा और माहत्म्य दोनों काफी बढ़ गये। लोग यहां मां की उपस्थिति मानकर दर्शन-पूजन करने लगे। बाद में इस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया। जिसमें ंमां की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। विशाल नेत्रों वाली मां विशालाक्षी का यह स्थान मां सती के 51 शक्ति पीठों में से भी एक है। इनका महत्व कांची की मां (कृपा दृष्टा) कामाक्षी और मदुरै की (मत्स्य नेत्री) मीनाक्षी के समान है। शाóों के अनुसार काशी के कर्ताधर्ता बाबा विश्वनाथ मां विशालाक्षी के मंदिर में विश्राम करते हैं। मंदिर में मां विशालाक्षी की दो मूर्तियां हैं। सन् 1971 में अभिषेक कराते समय पुजारी की गलती से मां की मुख्य प्रतिमा की अंगुली खण्डित हो गयी थी। जिसके बाद खण्डित प्रतिमा के आगे मां की दूसरी प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गयी। मंदिर का जीर्णोद्धार सन् 1908 में मद्रासियों ने कराया। गर्भगृह को छोड़कर मंदिर का अन्य भाग दक्षिण भारतीय मंदिर शैली का बना हुआ है। मंदिर के बाहरी भाग पर रंग-बिरंगे रूप में गणेश जी, शंकर जी समेत कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं। मंदिर में भादों मास पर भव्य आयोजन किया जाता है। इस माह की कृष्ण पक्ष तृतीया को मां विशालाक्षी का जन्म दिन धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर मां का अतिसुन्दर श्रृंगार किया जाता है। जिसका दर्शन करने के लिए आस-पास के श्रद्धालुओं के अलावा काफी संख्या में दक्षिण भारतीय भी आते हैं। वहीं मां के दर्शन के लिए काफी संख्या में दक्षिण भारतीय हर समय इस मंदिर में पहुंचते रहते हैं। चैत्र नवरात्र में मां के दर्शन-पूजन के लिए भी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। नवरात्र की पंचमी को गौरियों में मां विशालाक्षी का दर्शन होता है। मंदिर प्रातःकाल 5 से रात 10 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। मां की पांच बार आरती की जाती है। पहली आरती सुबह साढ़े पांच बजे, फिर दिन में 11 बजे एवं 12 बजे वहीं, शाम को 6 बजे एवं अन्तिम आरती रात 10 बजे मन्त्रोंच्चारण के साथ होती है। मंदिर के महंत राधेश्याम दुबे बताते हैं कि मां विशालाक्षी के दर्शन से सभी प्रकार कष्ट का दूर हो जाता है और सुख स

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