हर कंकड़ में शिव के वास वाली इस मस्तमौला नगरी में भगवान विष्णु के भी मंदिरों की एक लम्बी श्रृंखला है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार काशी में स्थित मंदिरों में भगवान विष्णु की प्रतिमाओं में वे विराजमान रहते हैं। यहां स्थित विष्णु मंदिरों में बिन्दु माधव का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि बिन्दु माधव के दर्शन-पूजन से सारे पाप कट जाते हैं और भक्त को तीनों लोकों का सुख प्राप्त होता है। कथा के अनुसार भगवान शिव के कहने पर प्रभु विष्णु मन्दराचल पर्वत से काशी विशेष कार्य को संपादित करने आये। उस समय यहां के राजा दिवोदास थे। भगवान विष्णु अपने कार्य को पूरा कर काशी की सुन्दरता देखकर मोहित हो गये। उन्हें गंगा जी का पंचनदी तीर्थ (पंचगंगा घाट) बहुत भाया। इसी तीर्थ पर ऋषि अग्नि बिन्दु रहते थे। उन्होंने भगवान को अपने सम्मुख देखा तो उनकी स्तुति करने लगे। अग्नि बिन्दू की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे कोई वरदान मांगने को कहा। इस पर अग्नि बिन्दु ने बड़े ही निर्मल भाव से भगवान विष्णु से उनके काशी में रहने का वरदान मांगा। इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान देते हुए पंचगंगा घाट पर विराजमान हो गये जो बिन्दु माधव के नाम से प्रसिद्ध हुए। पूर्व में इनका प्रसिद्ध मंदिर वर्तमान में पंचगंगा घाट पर स्थित आलमगीर की मस्जिद की जगह था। भारत में जब मुस्लिम शासन का प्रभाव था तो उस दौरान इस मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया गया। बाद में श्रद्धालुओं ने इनका मंदिर पंचगंगा घाट के पास गली में बनवाकर मूर्ति की स्थापना की। मान्यता के अनुसार बिन्दू माधव के दर्शन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है। यदि पंचगंगा तीर्थ पर स्नान करके बिन्दु माधव का दर्शन किया जाये तो और ज्यादा पुण्य मिलता है। इस तीर्थ पर स्नान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कहा जाता है कि कार्तिक महीने में प्रतिदिन विश्वेश्वर महादेव यहां स्नान करने आते हैं। इसी महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को बिन्दु माधव का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में इस दौरान उत्सव जैसा माहौल रहता है। इस दौरान श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लेते हैं। बिन्दु माधव का मंदिर पंचगंगा घाट पर के 22/37 में स्थित है। कैंट रेलवे स्टेशन से यह मंदिर करीब 8 किलोमीटर दूर है। आटो द्वारा मैदागिन चौराहे पर पहुंचकर वहां से पैदल ही गलियों में से बिन्दू माधव के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर प्रातःकाल 4 से रात 8 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। मंगला आरती प्रातः 4 बजे श्रृंगार आरती सुबह 8 बजे एवं शयन आरती रात 8 मन्त्रोच्चारण के बीच सम्पन्न होता है।