बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में बंगाल के निर्मल कुमार के द्वारा इस घाट का पक्का निर्माण करवाया गया। निर्मल कुमार के द्वारा स्वयं का एक विशाल भवन भी इसी तट पर बनवाया गया। निषादराज घाट की भांति यह घाट भी मल्लाह बाहुल्य क्षेत्र है, इस घाट पर धोबी लोग कपड़ा साफ करते हैं एवं स्नान आदि कार्य नहीं होता है। सन् 1989 में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा इस घाट का मरम्मत कराया गया था।