महाराष्ट्र के नासिक जिले में द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक न्न्यंबकेश्वर महादेव हैं। इन्हीं के प्रतिरूप न्न्यंबकेश्वर महादेव काशी में भी हैं। भदैनी के लोलार्क कुण्ड के पास स्थित न्न्यंबकेश्वर महादेव काशी के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक हैं। छोटा लेकिन बेहद आकर्षक स्थापत्य कला से निर्मित यह मंदिर देखने में शानदार लगता है। गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के पुजारी के अनुसार शिवलिंग को काफी पहले किसी ने स्थापित किया था। मान्यता के अनुसार इनके दर्शन से वही फल प्राप्त होता है जो मुख्य न्न्यंबकेश्वर के दर्शन-पूजन करने से मिलता है। रथाकार शैली में निर्मित इस मंदिर के प्रत्येक हिस्से में अभूतपूर्व कलात्मकता का संगम देखने को मिलता है। फिर चाहे वह मंदिर की सीढ़ियां हो या गर्भगृह से जल निकलने के लिए बनाया गया शेर का मुख। इसी तरह मंदिर के खम्भों पर भी बेहतरीन कारीगरी की गयी है। मंदिर में सबसे खास एवं आकर्षण करने वाला पहलू है गर्भगृह के भीतर उपर दीवारों पर की गयी चित्रकारी। यह चित्रकारी उसी जमाने की है। लेकिन अभी भी इस सुन्दर चित्रकारी को देखा जा सकता है। करीब पांच फीट उंचे चबूतरे पर लाल पत्थरों से निर्मित इस मंदिर में चारों दिशाओं में दरवाजे बने हुए हैं। जिससे मंदिर में हर समय प्राकृतिक रोशनी विद्यमान रहती है। दर्शनार्थियों के लिए यह मंदिर प्रातःकाल साढ़े 6 से दोपहर साढ़े 11 बजे तक एवं सायं 3 से रात 7 बजे तक खुला रहता है। आरती सुबह साढ़े 7 बजे एवं सायं साढ़े 6 बजे सम्पन्न होती है। मंदिर के वर्तमान पुजारी दुर्गा मिश्र हैं। यह मंदिर तुलसी घाट की ओर बढ़ने पर बायीं ओर लोलार्ककुण्ड की तरफ जाने पर दाहिनी ओर स्थित है।