सन् 1980 के पूर्व यह प्रहलाद घाट का ही कच्चा भाग था, जिसका सन् 1988 में राज्य सरकार के सहयोग से सिंचाई विभाग ने पक्का निर्माण कराया। घाट क्षेत्र में निषाद (मल्लाह) जाति की बाहुल्यता होने से इसका नामकरण निषादराज घाट नाम से हुआ। घाट तट पर मंदिरों की संख्या नगण्य है। वर्तमान में घाट पक्का है इस घाट पर आने वाले श्रद्धालु एवं स्थानीय लोग भी प्रहलाद घाट पर स्नान करते हैं। इस घाट पर भी धोबियों के द्वारा कपड़ा साफ किया जाता है।