इस घाट पर नागा साधुओं का प्रसिद्ध निरंजनी अखाड़ा (B 3/155) है, सन 1897 में काशी नरेश ने इस अखाड़ा भवन को नागा साधुओं को दान कर दिया था, इसी अखाड़े के कारण ही इस घाट का नामकरण निरंजनी घाट के रूप में हुआ। सन् 1958 में राज्य सरकार के द्वारा इसका पुनः निर्माण कराया गया। वर्तमान में घाट पक्का एवं स्वच्छ है, इस घाट पर बहुत कम मात्रा में स्नान कार्य होता है। घाट स्थित अखाड़े में निरंजनी महाराज पादुका मंदिर, गंगा मंदिर, दुर्गा मंदिर एवं गौरी-शंकर मंदिर है। पूर्व में यह घाट भी शिवाला घाट का एक भाग था।