बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में चैनपुर, भभुआ (बिहार) के नरसिंह जयपाल ने घाट के उत्तरी भाग का एवं घाट तट पर एक विशाल भवन का निर्माण कराया था, जिसके पश्चात ही इसे नया घाट के नाम से जाना जाने लगा। घाट का पूर्व नाम फूटेश्वर घाट था, जिसका उल्लेख जेम्स प्रिसेंप ने किया है, घाट पर फूटेश्वर शिव मंदिर स्थित होने के कारण इसका नामकरण हुआ था। इसके अतिरिक्त घाट पर एक हनुमान मंदिर भी स्थापित है। वर्तमान में घाट पक्का एवं सुदृढ़ है, धार्मिक महत्व कम होने के बाद भी स्थानीय लोग यहां स्नान कार्य करते हैं। सन् 1988 में राज्य सरकार के सहयोग से सिंचाई विभाग ने शेष कच्चे भाग का पक्का निर्माण कराया था।