पूर्व में यह घाट कच्चा था एवं वच्छराज घाट के ही परिक्षेत्र में आता था। सन् 1931 में जैन समाज के द्वारा इस घाट का पक्का निर्माण कराया गया तथा जैनघाट के नाम से इसका नामकरण किया गया। घाट तट पर प्रसिद्ध सुपार्श्वनाथ (दिगम्बर) जैन मंदिर है जिसका निर्माण सन् (1885) में हुआ था। इस घाट पर मुख्य रूप से जैन सम्प्रदाय के लोग ही स्नान करते हैं। सन् 1988 के पश्चात् उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा घाट का पुनः निर्माण हुआ है।