सन् 1870 से पूर्व यह घाट कच्चा था एवं इसे नघम्बरघाट के नाम से जाना जाता था। बिहार प्रान्त के सुरसण्ड स्टेट की महारानी रानी कुंवर ने सन् 1870 में इसका पक्का निर्माण करवाया, जिसके पश्चात् ही इसे जानकी घाट के नाम से जाना जाने लगा। इस नामकरण के संदर्भ में लोगों का मत है कि सीतामढ़ी जिले में स्थित सुरसण्ड स्टेट के लोग सीता (जानकी) के अनन्य भक्त होते हैं, महारानी का वहाँ से सम्बन्धित होने के कारण ही इस घाट का नाम जानकीघाट रखा गया। इस घाट क्षेत्र में शिव मंदिर, राम-जानकी मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर हैं। घाट पर स्नान का कोई विशेष धार्मिक महत्व नहीं है लेकिन पक्का एवं स्वच्छ घाट होने के कारण स्थानीय लोग यहां स्नान करते हैं। सन् 1985 में राज्य सरकार के सहयोग से सिंचाई विभाग द्वारा इस घाट का पुनः निर्माण कराया गया था।