उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में ग्वालियर के राजा जियाजी राव शिन्दे ने घाट एवं घाट स्थिति विशाल भवन का निर्माण कराया था, ग्वालियर राजा द्वारा निर्माण होने के कारण घाट का नाम ग्वालियर घाट पड़ा। पूर्व में यह वर्तमान जटार घाट का ही भाग था। घाट स्थित भवन में छोटे-छोटे तीन शिव मंदिर हैं। घाट के सम्मुख गंगा में पिप्पलाद तीर्थ की स्थिति मानी गई है। वर्तमान में घाट पक्का एवं स्वच्छ है हालांकि घाट का धार्मिक-सांस्कृतिक दृष्टि से कम महत्व है लेकिन स्वच्छ होने के कारण स्थानीय लोग यहाँ स्नान कार्य करते है।