1- मुख निर्मालिका गौरी
वासंतिक नवरात्र के पहले दिन (प्रथमा) को मुखनिर्मालिका गौरी का दर्शन-पूजन किया जाता है। इनका मंदिर गाय घाट क्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि इनके दर्शन से वर्ष भर मंगल और कल्याण होता है।
2- ज्येष्ठा गौरी
वासंतिक नवरात्र के दूसरे दिन (द्वितीया) को ज्येष्ठा गौरी का भक्त दर्शन-पूजन करते हैं। इनका भव्य मंदिर कर्णघण्टा (सप्त सागर) क्षेत्र में स्थित है। इनके दर्शन से भक्तों का सर्व मंगल होता है।
3- सौभाग्य गौरी
वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन (तृतीया) को माँ दुर्गा के सौभाग्य गौरी रूप का दर्शन पूजन होता है। इनका मंदिर ज्ञानवापी परिसर के सत्यनारायण मंदिर में स्थित है। शास्त्रों में माँ के इस रूप के दर्शन-पूजन का विशेष महत्व दिया गया है। गृहस्थ आश्रम में महिलाओं के सुख-सौभाग्य की अधिष्ठात्री गौरी हैं। महिलाए माँ से पति के कल्याण की कामना करती हैं।
4- शृंगार गौरी
वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन (चतुर्थी) को माँ श्रृंगार गौरी का पूजन अर्चन होता है। इनका मंदिर ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद के पीछे हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन से महिलाओं का श्रृंगार वर्ष भर बना रहता है।
5- विशालाक्षी गौरी
वासंतिक नवरात्र के पांचवे दिन (पंचमी) को भक्त माँ विशालाक्षी गौरी की पूजा करते हैं। इनका मंदिर मीर घाट के धर्मकूप क्षेत्र में स्थित है। इनकी आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। माँ स्त्रियों को संतान प्रदान करती हैं।
6- ललिता गौरी
वासंतिक नवरात्र के छठें दिन (षष्ठी) को ललिता गौरी की पूजा की जाती है। इनका मंदिर ललिता घाट में स्थित है। भक्त ललिता घट पर स्नान करके माँ का दर्शन-पूजन करते हैं। मान्यता है कि इनके दर्शन से सभी प्रकार का कल्याण होता है। साथ ही सुख शांति की प्राप्ति होती है।
7- भवानी गौरी
वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन (सप्तमी) को भवानी गौरी के दर्शन-पूजन का विधान है। माँ का मंदिर विश्वनाथ गली में स्थित माता अन्नपूर्णा मंदिर के निकट राम मंदिर में है। माँ सभी बाधा व आपदाओं को हरने वाली है।
8- मंगला गौरी
वासंतिक नवरात्र के आठवें दिन (अष्टमी) को माँ मंगलागौरी का दर्शन-पूजन होता है। इनका मंदिर बाला घाट स्थित बाला जी मंदिर के पास है। माँ भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं। इनके दर्शन-पूजन से कन्या विवाह की बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
9- महालक्ष्मी गौरी
वासंतिक नवरात्र के नौवें दिन (नवमी) को महालक्ष्मी गौरी का दर्शन-पूजन होता है। इनका मंदिर लक्ष्मी कुण्ड का सुप्रसिद्ध लक्ष्मी मंदिर है। मान्यता है कि भूतों में देवी लक्ष्मी रूप में है। गृहस्थों के दर्शन-पूजन से धन सम्पत्ति प्राप्त होती है।
काशी में प्रमुख रूप से 9 गौरियों के अतिरिक्त 7 गौरियाँ हैं।
(1) विश्वभुजा गौरी (2) शांतिकरी गौरी (3) अम्बिका गौरी (4) पार्वती गौरी (5) विरुपाक्षी गौरी, (6) त्रिलोक सुन्दरी (7) विजया भैरवी हैं। जिनका भी लोग दर्शन-पूजन करते हैं।