पूर्व काशी नरेश प्रभुनारायण सिंह ने बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में इस घाट पर एक विशाल भवन का निर्माण कराया, जिसका नाम गंगामहल रखा गया, इसी नाम पर ही इस घाट का भी नामकरण हुआ। गंगामहल में राजपूत और स्थानीय वास्तु शैली का सुन्दर समन्वय दिखाई पड़ता है। वर्तमान समय में यह महल काशी नरेश महारानी ट्रस्ट के संरक्षण में है। कला एवं संगीत के अध्ययन के लिये आये विदेशी यात्रियों के निवास की व्यवस्था इस महल में है। गंगामहल घाट असिघाट की उत्तरी सीमा से सटा हुआ है, पूर्व में यह असिघाट का ही एक भाग था।