अभी तक यह घाट कच्चा है। गहड़वाल दानपत्र में उल्लेखित वेदेश्वर घाट सम्भवतः यही घाट है, लिंगपुराण एवं काशीखण्ड में आदिकेशव और राजघाट के मध्य वेदेश्वर घाट की स्थिति को दर्शाया गया है, अतः प्राचीन वेदेश्वर घाट की वर्तमान खिड़की घाट हो सकता है। खिड़की घाट नाम से घाट का प्रथम उल्लेख मोतीचन्द्र ने किया है। घाट पर पीपल वृक्ष के समीप एक शिव मंदिर है, घाट के उपरी भाग में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध बसंत महिला महाविद्यालय और गांधी विद्या संस्थान स्थित है। घाट कच्चा होने के कारण यहाँ स्नानार्थियों का बहुत कम संख्या में आगमन होता है, घाट पर साधु-सन्यासी रहते हैं एवं यही गंगा में स्नान करते हैं।