बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक यह हनुमान घाट का ही एक अंग था, घाट का निर्माण मैसूर राज्य के योगदान से हुआ, जिससे यह घाट मैसूरघाट के नाम से प्रसिद्ध हुआ और कालान्तर में कर्नाटक घाट में परिवर्तित हो गया। घाट तट पर मैसूर राज्य द्वारा स्थापित धर्मशाला एवं एक शिव मंदिर है। घाट पर सतियों के भी कई स्मारक हैं। घाट पर दक्षिण भारतीय स्नानार्थियों की संख्या अधिक होती है, जो अधिकतर यहाँ स्थापित धर्मशाला में निवास करते हैं।