सन् 1785 में इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने घाट एवं घाट तट पर विशाल महल का निर्माण कराया था। घाट का प्राचीन नाम केवलगिरिघाट था, परन्तु निर्माण के कुछ समय पश्चात् यह अहिल्याबाई घाट के नाम से जाना जाने लगा। घाट पर महल के अतिरिक्त अहिल्याबाई बाड़ा (D 18/16) एवं महारानी द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर तथा दो शिव मंदिर है। घाट पक्का एवं स्वच्छ है। विशेष धार्मिक महत्व न होने के बाद भी यहाँ स्थानीय एवं दशाश्वमेध घाट पर आये यात्री स्नान करते हैं। घाट पर सायंकाल में बंगाली महिलायें भजन-कीर्तन करती हैं। सन् 1965 में राज्य सरकार ने वर्तमान घाट का पुनः निर्माण कराया था।