भारत का विकास

भारत बनकर ही भारत का विकास संभव

जने-माने समाजसेवी एवं राज्यसभा के सांसद वसव राज पाटिल ने कहा कि देश का विकास तभी संभव है जब हम दूसरों की नकल छोड़कर अपनी मजबूती पर काम करेंगे। विडंबना यह है कि वर्तमान में हम यूरोप, अमेरिका जैसे देशों की नकल करने में गर्व महसूस कर रहे हैं। श्री पाटिल 10 अपैल गुरूवार को लंका स्थित ‘काशीकथा’ कार्यालय पर युवाओं को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह कभी सम्भव ही नहीं हो सकता कि भारत अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया जैसे देशों की तरह बने। क्योंकि वहां की संस्कृति, सभ्यता, जलवायु सबकुछ भारत से भिन्न है। ऐसे में एकरूपता लाना असम्भव तो है ही, अनुचित भी है। भारत एक बहुसंस्कृतिवादी देश रहा है जो कि यहां की खासियत रही है, जिसे हमें संजोये रखने की आवश्यकता है। कहा कि पश्चिमी देश तो चाहते ही हैं की सभी जगह एकरूपता आ जाये जिससे उनके द्वारा बनाये गये माल की खपत आसानी से हो। भारत के गौरवमयी परम्परा एवं संस्कृति की ओर इंगित करते हुए श्री पाटिल ने कहा कि गांधी जी से लेकर विनोवा भावे एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय तक ने ग्राम आधारित विकास के ढांचे पर बल दिया। उनके अनुसार विकास की सार्थकता तभी है जब उसका लाभ समाज के सबसे निचले व्यक्ति तक को मिले। इसी तरह के0एन0 गोविन्दाचार्य ने भी विकास की अवधारणा को जल, जंगल, जमीन से जोड़कर देखा। उनके अनुसार जब ये रहेंगे तभी मनुष्य विकास कर सकता है। मनुष्य अपने विकास का स्वयं बाधक बन रहा है, यदि वह अभी नहीं चेता तो भविष्य में भयंकर परिणाम देखने को मिल सकता हैं। विश्व की 36 प्रतिशत उपजाउ जमीन भारत की है। बावजूद इसके हम दूसरों पर निर्भर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को भारत बनकर विकास करना होगा। क्योंकि वही उसकी मजबूती है। साधन सम्पन्न बनने एवं गरीबी को दूर करने के लिए जरूरी चीजें स्थानीय स्तर पर निर्मित होनी चाहिए। जिससे रोजगार तो मिलेगा ही साथ में महंगाई भी नियंत्रण में रहेगी। उन्होंने भारत विकास संगम के कार्यों और उसके लक्ष्यों के बारे में भी अवगत कराया। बताया कि आगामी कुछ वर्षों में कृषि उत्पादन आधारित प्रशिक्षण दिया जायेगा। साथ ही लघु उद्योग से सम्बंधित जानकारी भी दी जायेगी। जिससे की लोग स्वावलंबी बनकर अपने जीवन स्तर को सुधार सकें। उन्होंने युवाओं से जीवन में शार्टकट छोड़कर ईमानदारी से कठिन परिश्रम करने की अपील की। साथ ही विकास के लिए सोच बदलना होगा, खुली आंखों से सपने देखने होंगे और सिद्धांत बेहतर होना चाहिए का मूल मंत्र भी दिया। इसके बाद श्री पाटिल ने रामनगर में भी युवाओं की सभा में जोश भरा। इस मौके पर प्रो0 पी0के0 मिश्र, डॉ0 राजेश बंसल, संजय शुक्ल, शिवेन्द्र, जगन्नाथ ओझा, राजकुमार सिंह रिंकू, आलोक सिंह, दिलीप दीक्षित, गौरव मिश्र, आशीष पाठक, डॉ0 अवधेश दीक्षित, आशुतोष पाण्डेय, विनय शुक्ल, गोपेश पाण्डेय, जयप्रकाश सिंह, धीरज कुमार गुप्ता, दिग्विजय त्रिपाठी, आशीष पाठक, अरूण मिश्र, राहुल पटेल, आनन्द पाण्डेय, प्रशांत सिंह, अमरेश बहादुर यादव, अजीत मौर्य समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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