व्रत

काशी में व्रतों की भी अपनी एक संस्कृति है। यहां लगभग सप्ताह के सभी दिन कोई न कोई व्रत रहता है। कुछ ऐसे भी व्रत हैं जो वर्ष में एक बार रखे जाते हैं। तो कुछ व्रतों को यहां महाव्रत की संज्ञा दी गयी है। धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में व्रत लोगों के अभिन्न अंग हैं। इन व्रतों को लोग आस्था एवं परम्परा के साथ रखते हैं। कुछ व्रतों को निर्जला रखा जाता है तो ज्यादातर व्रतों में लोग फलाहार करते हैं। हिन्दी वर्ष के अनुसार चैत्र महीने से व्रत शुरू हो जाता है जो साल भर जारी रहता है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि शुरू हो जाता है। इस दौरान बहुत से लोग नौ दिन का व्रत रखते हैं जबकि कुछ लोग नवरात्र के प्रथम और अंतिम दिन उपवास रखते हैं। इस मास की तृतीया को महिलाएं सौभाग्य सुन्दरी व्रत रखती हैं। चतुर्थी को वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत रखा जाता है। इस मास की एकादशी को कामदा एकादशी के रूप में महिलाएं व्रत रखती हैं। त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी का व्रत रखा जाता है। पूर्णिमा को हनुमान जयंती का श्रद्धालु व्रत रखते हैं।

वैशाख कृष्ण पक्ष – इस मास की प्रतिपदा को कच्छपावतार रहता है। इस दिन भी कुछ लोग व्रत रखते हैं। अष्टमी को शीतलाष्टमी रहती है। महिलाएं व्रत रखती हैं। एकादशी को वरूथनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। अमावस्या को वैशाखी अमावस्या रहती है। इस दिन भी लोग व्रत रखकर दान देते हैं।

वैशाख शुक्ल पक्ष – वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में महिलाएं व्रत रखती हैं।

       सप्तमी को गंगा सप्तमी के रूप में व्रत रखा जाता है।, नौमी को जानकी जयंती और अक्षय नौमी का व्रत रखा जाता है।, एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में व्रत रखा जाता है।, चतुर्दशी नरसिंह चतुर्दशी के रूप में व्रत रखा जाता है।, पूर्णिमा वैशाखी पूर्णिमा का लोग व्रत रखते हैं।

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष – इस मास की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है।, अष्टमी को शीतलाष्टमी व्रत महिलाएं रखती हैं।, एकादशी को अचला एकादशी व्रत रखा जाता है।, अमावस्या को वट सावित्री व्रत होता है।

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष – इस मास की प्रतिपदा को लखीर व्रत पड़ता है। तृतीया को रम्भा तीज महिलाएं रखती है।, चतुर्थी को वैनायक गणेश व्रत रखा जाता है।, दशमी को गंगा दशहरा का भी कुछ लोग व्रत रखते हैं।, एकादशी इसे निर्जला एकादशी भी कहा जाता है। इसमें लोग 24 घण्टे का निर्जल व्रत रखते हैं। द्वादशी पूजा के दिन भी कुछ लोग व्रत रखते हैं। पूर्णिमा को कई लोग व्रत रखते हैं।

आषाढ़ कृष्ण पक्ष – इस पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी एकादशी रहती है इस अवसर पर भी लोग व्रत रखते हैं।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष – इस माह में आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन भी लोग व्रत रखते हैं।

श्रावण कृष्ण पक्ष – इस महीने के हर सोमवार को ज्यादातर महिलाएं व्रत रखती हैं।  इस पक्ष की द्वितीया को अशून्य शयन व्रत रखा जाता है।, चतुर्थी को संकष्ठी श्रीगणेश का व्रत होता है। एकादशी को लोग कामदा एकादशी के रूप में व्रत रखते हैं, त्रयोदशी को शिवरात्रि व्रत रखा जाता है।

श्रावण शुक्ल पक्ष – इस पक्ष की तृतीया को ठकुराइन तीज का व्रत महिलाएं रखती हैं।, चतुर्थी को वैनायकी गणेश व्रत रखा जाता है।, एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रहता है।

भाद्र कृष्ण पक्ष – इस पक्ष की द्वितीया को अशून्य शयन व्रत रहता है। तृतीया को कजरी (तीज) का व्रत महिलाएं रखती हैं। चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस पक्ष की षष्ठी को ललही छठ का व्रत महिलाएं बड़े उत्साह भाव से करती हैं। इस पक्ष की अष्टमी को महाव्रत कृष्ण जन्माष्टमी रहता है। जिस पर काफी संख्या में लोग व्रत रखते हैं। एकादशी को जया एकादशी के रूप में मनाते हुए व्रत रखा जाता है।

भाद्र शुक्ल पक्ष – इस पक्ष की तृतीया को महिलाओं का सबसे बड़ा व्रत हरतालिका तीज रहता है।, पंचमी से जैन धर्मी 10 दिन तक व्रत रहते हैं। दशमी को दशावतार व्रत रखा जाता है।

       चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भी व्रत रखते हैं। पूर्णिमा को उमामहेश्वर का व्रत रखा जाता है।

आश्विन कृष्ण पक्ष – इस पक्ष की अष्टमी की जीवित्पुत्रिका का व्रत महिलाएं रखती हैं।

आश्विन शुक्ल पक्ष – इस पक्ष में शारदीय नवरात्र शुरू होता है। काफी लोग नौ दिन व्रत रखते हैं। इस पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में लोग व्रत रखते हैं।

कार्तिक कृष्ण पक्ष – इस पक्ष के चौथ को करवाचौथ व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। अष्टमी को सन्तान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। एकादशी को रम्भा एकादशी का व्रत रखा जाता है। चतुर्दशी को काफी लोग केदार गौरी का व्रत रखते हैं।

कार्तिक शुक्ल पक्ष – नवमी को अक्षय नवमी का व्रत रहते हैं। एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी का व्रत रखने का विधान है।

मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष – इस पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत महिलाएं रखती हैं।

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष – इस पक्ष की पंचमी को राम विवाह होता है। इस मौके पर भी कुछ लोग व्रत रखते हैं। षष्ठी को स्कंद षष्ठी के रूप में व्रत रखा जाता है।

पौष कृष्ण पक्ष – इसकी एकादशी को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है।

पौष शुक्ल पक्ष – इस पक्ष की अष्टमी को महाभद्राष्टमी व्रत रखा जाता है। एकादशी को पुत्रदा एकादशी के रूप में महिलाएं व्रत रखती हैं।

माघ कृष्ण पक्ष – चतुर्थी को गणेश चौथ का व्रत रखा जाता है।

माघ शुक्ल पक्ष – इस पक्ष की चौथ को तिलुआ चौथ भी कुछ लोग रखते हैं। सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। एकादशी के रूप में मनाते हुए कुछ लोग व्रत रहते हैं। माघी पूर्णिमा को कल्पवासियों का अंतिम व्रत रहता है।

फाल्गुन कृष्ण पक्ष – इस पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का महाव्रत लोग रखते हैं।

चैत्र कृष्ण पक्ष – इस मास की एकादशी को पापमोचनी एकादशी का व्रत महिलाएं रखती हैं। कई व्रत ऐसे हैं जो तिथि और वार पर भी पड़ते हैं। जैसे सूर्य-षष्ठी व्रत, भानुसप्तमी चन्द्रषष्ठी, भौमवती चतुर्थी, बुधाष्टमी, गुरूवार का व्रत शुक्रवार को महिलाएं संतोषी माता का भी व्रत रखती हैं। शनिवार को शनि का व्रत एवं मंगलवार को हनुमान जी का भी लोग व्रत रखते हैं। साथ ही कुछ लोग प्रदोष का व्रत रखते हैं।

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