मौज-मस्ती

अभय सिनेमा हाल

एक समय था जब मनोरंजन के सीमित साधन हुआ करते थे, बावजूद इसके लोगों में इन साधनों के प्रति गजब का उत्साह रहता था। बात चाहे रंगमंच, मल्खम, गहरेबाजी की हो या सिनेमा हालों की, लोग मनोरंजन के इन साधनों का भरपूर लुत्फ उठाते थे। इस धार्मिक नगरी के मस्तमौला लोग चिंता को चिता समझ उसे आत्मसात करने की बजाय उससे दूर जिंदगी को जी भर के जीने के आदी रहे हैं। यही कारण रहा कि यहां जब सिनेमा हालों का प्रादुर्भाव हुआ तो लोगों ने इस नये मेहमान का जबर्दस्त स्वागत किया। आलम यह था कि किसी सिनेमा हाल में फिल्म लगती तो दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ता था। फिल्म देखने की ऐसी तलबी कि घंटों लाइन में लगकर टिकट लेने के बाद भी दर्शकों के चेहरे पर शिकन नहीं होती थी। कई लोकप्रिय सिनेमा हालों के प्रति लोगों की दीवानगी इतनी थी कि उन्हें सिनेमा हाल आने-जाने के लिए विशेष रूप से बस चलती थी। काशी के सिनेमा हालों में अस्सी स्थित अभय सिनेमा हाल काफी लोकप्रिय रहा है। यह सिनेमा हाल अंग्रेजी शासन के दौरान अस्तित्व में आया। इसकी नींव इंग्लैंड के मिस्टर मैडन ने रखी। जब यह बना तो इसका नाम ‘विश्वनाथ थियेटर’ था। इसके बाद जब मिस्टर मैडन इंग्लैंड जाने लगे तो उन्होंने इस थियेटर के संचालन की जिम्मेदारी सन् 1939 में अभयपद लाहिड़ी को सौंप दी। इस थियेटर में हिन्दी, अंग्रेजी फिल्मों के अलावा भोजपुरी फिल्में भी लगती थीं। इसमें जो पहली फिल्म लगी वह थी सोहराब मोदी की फिल्म ‘पुकार’। बताया जाता है कि इस फिल्म को देखने के लिए दर्शकों में जबर्दस्त उत्साह था। उस समय प्रोजेक्टर चलाने के लिए सिनेमा हाल में प्लांट भी लगा था। इस सिनेमाहाल में टरबाइन भी लगायी गयी थी जिससे बिजली उत्पन्न करके सिनेमाहाल को चलाया जाता था। टरबाइन के साथ बड़े-बड़े पंखे भी लगे थे। उस वक्त भी इस सिनेमाहाल में दर्शकों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बालकनी बनायी थी हालांकि वह लकड़ी की थी। आजादी के बाद सन् 1955 में इस सिनेमा हाल का नाम बदलकर ‘भारती सिनेमा’ रख दिया गया। वहीं बाद में 2 जुलाई 1990 को एक बार फिर इसके नाम में परिवर्तन हुआ और यह ‘अभय’ बन गया। इस सिनेमा हाल की इतनी तूती बोलती थी कि इसमें लगी फिल्मों को देखने के लिए लाहिड़ी परिवार ने गोदौलिया से अस्सी तक दर्शकों को आने-जाने के लिए बस चलवायी थी। मॉल कल्चर एवं मनोरंजन के तमाम साधन आने के बाद अभय सिनेमा हाल भी दर्शकों से महरूम हो गया। अपने अतीत में समृद्ध रहा यह सिनेमाहाल वर्तमान में बंद हो गया है। अस्सी चौराहे से दुर्गाकुण्ड की ओर बढ़ने पर यह सिनेमाहाल स्थित है।

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