भारत माँ की आरती

स्वतंत्रता-स्वाधीन-दिवस; गंणतंत्र-सृजन आरती करें।
आरती करें भारत बासी; भारत माँ की आरती करें।।
अक्षत्-चंदन-फूलों के हार,
रोली-कुम-कुम से कर श्रृंगार।
इस महिमा मंडित-महिमामयी, भारत माँ की आरती करें।
आरती करें भारतबासी, भारत माँ की आरती करें।।
नेता सुभाष, आजाद-भगत सिंह,
राजगुरू-विस्मिल जै से।
सैंकड़ों हुए बलिदान, आजादी
दिलवाये वो हमे ऐसे।।
जिनके सिमरन में श्रद्धा-सुमन……..हो-होऽऽऽ……हों……..
जिनके सिमरन में श्रद्धा-सुमन-अर्पण हम, हर भारती करैं।
इस महिमा मंडित-महिमा मयी भारत माँ की आरती करें।।
आरती करें भारत वासी-भारत माँ की आरती करें।।
जिसके सर पे हो मुकुट शुभ्र ज्योत्सना,
हिमालय-हिम-क्षादित!
जिन पर बिखेरने-आते हैं किरणें,
रश्मि-रथि नित अदित्य।।
जिसके चरणों में सदा समर्पपण…हो……..वो………..।।
जिसके चरणों में सदा समर्पण, संस्कार-भारती करैं।
इस महिमा-मंडित-महिमामयी-भारत माँ की आरती करें।।
आरती करें भारत बासी, भारत माँ की आरती करें।।
जिसके वक्षस्थल से लगकर हम,
जन्म लिये औ पले-बढ़े।
उसकी गोदी में भागीरथ
लाकर गंगा इतिहास गढ़े।।
ईह मातृ-भूमि पूजा-अर्चण, हो……..वो………।।
ईह मातृ-भूमि पूजा-अर्चण, हम संस्कार-भारती करैं।
इस महिमा मण्डित-महिमामयी, भारत माँ की आरती करें।।
आरती करैं भारत वासी भारत माँ की आरती करें।।
उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम
सिमायें भी अब नमन करें
ईह करूणा-मयी भारत-अखण्ड,
का महासंघ बन अमन करैं।।
ईह शष्य-श्यामव्यम् मातृ शरण, हो………..वो……….ऽऽऽ
ईह शष्य-श्यामलम् मातृ शरण, हम संस्कार-भारती करैं।
इस महिमा मण्डित-महिमामयी भारत माँ की आरती करें।।
आरती करैं भारत वासी, भारत माँ की आरती करें।।
सुन, राम सनेही परम-प्रिये,
श्री कृष्ण की वंशी यहीं बजी।
इस धरती की महिमा क्या कहिये?
गुरू नानक वाणी यहीं सजी।।
ईह, पून्य भूमि पर सर्वश अर्पण, हो………..हो………….।।
ईह, पून्य भूमि पर सर्वश अर्पण संस्कार-भारती करैं।
इस महिमा मण्डित महिमामयी, भारत माँ की आरती करें।।
 
                                                                                                                          राम सनेही ओझा

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